संसार मात्र में दो चीजे है सत् और असत् , शरीरी ( आत्मा ) और शरीर | इन दोनों में शरीरी तो अविनाशी है और शरीर विनाशी है ये दोनों ही अशोच्य ( चिंता न करने योग्य ) है अविनाशी का कभी विनाश नहीं होता और विनाशी का विनाश होता ही है अर्थात जो पैदा हुआ है उसका विनाश निश्चित है | इस लिए अविनाशी के लिए चिंता करने का कारण बनता ही नहीं और विनाशी एक पल के लिए भी स्थायी रूप से नहीं रहता इसलिए उसके लिए भी शोक करना या चिंता करने का कारण नहीं बनता |
this phrase declare only one meaning: there is no need to worry. God is every where and the objects are doing there duties very well on its places.
we ll find same what we gave
जिंदगी एक गूँज की तरह है हमे वही वापस मिलता है जो हम देते है|
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