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Thursday, July 3, 2014

लखपति होने का सुख ...

अगर अनुकूल वस्तु, व्यक्ति , परिस्थति , घटना आदि के प्राप्त होने पर सुख सामग्री का अपने सुख , आराम ,सुबिधा के लिए उपयोग करेंगे और उससे खुश होंगे तो ये अनुकूलता का भोग होगा | परन्तु निर्बाह बुद्धि से उपयोग करते हुए उसे आभावग्रस्तो की सेवा में लगा दे तो यह अनुकूलता का सदुपयोग हुआ | अत: सुख सामग्री को दुखियों का ही समझे | उसमे दुखियों का ही हक है | 

मान लो हम लखपति है तो हमे लखपति होने का सुख होता है, अभिमान होता है | परन्तु ये सब तब होता है जब हमारे सामने कोई लखपति न हो | अगर हमारे सामने, जो हमारे  देखने सुनने में आते है , वे सब के सब करोड़पति हो , तो क्या हमे लखपति होने का सुख मिलेगा ? बिलकुल नहीं मिलेगा | अत: हमे लखपति होने का सुख तो आभावग्रस्तो, दरिद्रो ने ही दिया है | अगर हम मिली हुई सुख सामग्री से आभावग्रस्तो की सेवा न करके स्वंय सुख भोगते है , तो हम स्वंय को सुख देने वालो के उपकार को भूल रहे है | इसी से सब अनर्थ पैदा होते है | कारण ये है कि हमारे पास जो भी सुख सामग्री होने का सुख है अभिमान है वो दींन दुखियों का दिया हुआ ही है | अत: उस सुख सामग्री को दींन दुखियों कि सेवा में लगा देना ही हमारा कर्तव्य होता है |

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